3 day Survival in Delhi/ दिल्ली में अकेला, 3 दिन बगैर पैसे, मोबाईल। सिर्फ 2 जोड़ी कपड़ो के साथ। page-4
Sb in Delhi/ दिल्ली का सच/ जिंदगी की सबसे बड़ी सीख, जो आपको कभी भी हारने नहीं देगी।
यहाँ से आता है कहानी में एक नया Twist । जब मैं लंगर कर रहा था। तो अचानक मेरी नजर एक
बंदे पर पड़ी, मेरे को वो जाना पहचाना सा लगा। मैनें उसको आवाज दी लंगर हाल में “भाई-भाई”। हाँ By Luck वो मेरे
शहर का ही निकला। बस फिर उसको बताया कि मैं यहाँ पर बिना पैसों के, बिना मोबाईल के
3-4 दिन के लिए आया हूँ। उसने मेरे को जान बूझकर “Mentally Disturbed” का Tag लगाया। पर मेरे को तो क्लियर है, कि क्या है
और क्या नहीं है। फिर अपना एक बार घर फोन किया सुमित के फोन से। फिर अपनी आई-डी
मंगवाई और हाल में जाकर सो गए।
सुबह उठे दर्शन किए गुरद्वारे में, लंगर तो 8 बजे सी शुरु होना
था। इतना सेवा कि हमने 1.5-2 घंटा Boot Polish करके। फिर लंगर लेकर हम
ओटो में बैठकर गाँधीनगर कपड़ा मार्किट में चले गए घूमने। सारा दिन हमने कपड़ा
मार्किट घूमी। Window Shopping कि हम fake दूकानदार बनकर गए। कई दुकानों पर समान देखा रेट पता किए। फिर 3-4 बजते
बजते, बहुत थक गए थे। फिर एक पार्क था गुरद्वारे का वहाँ पर गये ताकि थोड़ी देर
बैठ सके। location 5। एक बंदा डंडा लेकर आया। थोड़ी देर rest
करने के बाद हम वहाँ से चले गए। “park में हमे वहाँ पर एक लोकल बंदा मिला उसने बताया कि वह एक
बार रात को 1.5 बजे सी हास्पिटल जा रहा था, वह पैदल था, कुछ बंदे उसके पास आए उससे
फोन छीन लिया, पर्स छिनने की कौशिश की, उस बंदे ने उनका विरोध/ oppose किया, पर पीछे से एक
बंदे ने उसके सिर पर रोड/ iron rode मार दी, सिर में से खुन निकलने लगा, उन लोगों ने फिर उसको
नाले में गिरा दिया, सुबह 6 बजे सी किसी बंदे ने उसे देखा इस जख्मी हालत में, फिर
पुलिस को फोन किया, फिर उसको हस्पताल ले जाया गया। This shows the worst situation of Crime in Delhi city।“
Cannaught Place, Delhi |
पालिका बाजार दिल्ली |
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